कोरोना वाइरस, लाकडाउन और नेकियों के मौसमे बहार की आमद

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डॉक्टर मुहम्मद नजीब क़ासमी 
(www.najeebqasmi.com)
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नेकियों का मौसमे बहार शुरू होने वाला है, मगर दुनिया में कोरोना वबाई मर्ज के फैलने के कारण इस वर्ष अल्लाह के घरों में प्रत्येक वर्ष की तरह नमाजियों की भीड़ भाड़ नहीं आयेगी, बल्कि प्रत्येक वर्ष तरावीह की नमाज में अल्लाह के पाक कलाम अर्थात कुरआन शरीफ सुनने और सुनाने वाले सज्जन भी अल्लाह तआला से मुआफी मांगते हुए अपने घरों में ही तरावीह की नमाज अदा करने पर मजबूर हैं। प्रत्येक मुसलमान चाहता है कि वह बरकतों वाले महीने में अपनी ईबादत की मिक़्दार बढ़ाये, इसलिए रमजानुल मुबारक में मस्जिदें विशेषकर जुमए की नमाज के लिए नमाजियों से भर जाती हैं। और यह भी कि नबी सललललाहु अलैहि व सललम के कथनानुसार रमजान के महीने में प्रत्येक मुसलमान अपनी हैसियत के अनुसार सखावत से काम लेता है, चुनांचे गरीबों और मिस्कीनों को भी इस महीने में सबसे ज्यादा याद किया जाता है। इन दिनों गरीब तबका हमारी मदद का खास मुहताज है, इसलिए इस माह में गरीबों की मदद में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें।
हमें हालात से घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हमारे मौला ने हमारी शक्ति के अनुपात ही हमें मुकल्लफ बनाया है। हमें वस्तुतः हर समय विशेषकर इस महीने की बाबरकत घड़ियों में अल्लाह तआला से मुआफी मांगने के साथ इस वबाई मर्ज की समाप्ति के लिए दुआएं भी करनी हैं क्योंकि हर वक्त विशेषकर ऐसी मुसीबतजदा हालात में अल्लाह तआला की तरफ रुजू करना आवश्यक है। चिकित्सकों की शोध के अनुसार यह मर्ज संक्रामक है अर्थात यह मर्ज एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित हो सकता है, लिहाजा इस पवित्र माह में भी यथासंभव अपने घरों में रहें और नमाजें समय पर अदा करें क्योंकि इस वबाई मर्ज से बचने के लिए अन्य एहतियाती तदाबीर के साथ नमाजों का एहतराम भी जरूरी है। पांच फर्ज नमाजों के साथ नमाज तहज्जुद, नमाज इशराक और नमाज चाश्त जैसी नफ्ल नमाजें भी अदा करें। नमाजों की पाबंदी के साथ कुरआने करीम की तिलावत करें और अल्लाह तआला की जिक्र करें। टी वी और इंटरनेट पर बेहयाई और नंगी-नंगी प्रोग्रामों को देखने से स्वयं बचें और अपने बच्चों की विशेष निगरानी रखें।
फरमाने रसूल-अल्लाह स0 के अनुसार किसी रोजादार को इफ्तार कराने पर रोजादार के बराबर सवाब दिया जायेगा, मगर उसके लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन करना आवश्यक नहीं है बल्कि अगर आप के सहयोग से चंद खजूरें या साफ पानी किसी गरीब के दस्तरखान पर इफ्तार के समय पहुंच जाये तो इनशाअल्लाह हदीसे नबवी में वर्णित सवाब अवश्य ही मिलेगा।
लाकडाउन के कारण मस्जिदों को आबाद रखने के लिये मात्र चंद लोग ही पंजवक्ता नमाज तरावीह के साथ मस्जिद में अदा करें, बाकी सभी लोग नमाज तरावीह और दूसरी नमाजें अपने घरों ही में अदा करें। पूरे महीने नमाजे तरावीह पढ़ना सुन्नत है और तरावीह में पूरे कुरआन शरीफ का सुनना या सुनाना दूसरी अलग से सुननत है। लिहाजा यदि हाफिजे कुरआन मिल जाये तो बेहतर है ताकि दोनों सुननतों पर अमल हो जाये, अन्यथा कुरआन करीम की अंतिम छोटी सूरतें ही पढ़कर नमाज तरावीह घर पर बाजमाअत या तंहा पढ़ें। महिलाएं भी घर में होने वाली नमाजे तरावीह में शिरकत कर सकती हैं, यद्यपि कि महिलाओं का तंहा नमाज पढ़ना ज्यादा बेहतर है।
अगरचे हमारा यह ईमान व अकीदा है कि मौत अपने समय पर आती है और हालात अल्लाह तआला ही की तरफ से आते हैं, मगर दुनिया दारुल असबाब होने के कारण एहतियाती तदाबीर एख्तियार करना हमारी दीनी व समाजी व कौमी जिम्मेदारी है। लिहाजा कोरोना वबाई मर्ज से बचने के लिए एहतियाती तदाबीर एख्तियार करते हुए इस माहे मुबारक में अल्लाह से इस बीमारी से महफूज़ रखने की दुआएं करें।

अनुवाद - जैनुल आबेदीन, कटिहार

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