तो फिर संयुक्त राष्ट्र को इस तरह के वीडियो भेजकर बताया जाए कि आतंकवाद की परिभाषा तय कीजिए.





भारतीय मीडिया ने मुसलमानों के खिलाफ जो प्रोपेगंडा युद्ध छेड़ा हुआ है यह वीडियो उसी का नतीजा है।  कोरोना पर तब्लीगी जमात के बहाने जिस शब्दावली का इस्तेमाल किया गया है, यह वीडियो उसी का नतीजा है। टीवी और अख़बारों को बौद्धिक आतंकियो ने जो नफरत फैलाई है यह वीडियो उसी का नतीजा है। मुसलमान इस देश के सत्ताधारी दल का ईंधन है, जिसे मारकर, जलाकर   मौजूदा सरकार अपनी नाकामियां छिपाती हैं। अगर सरकार इन आतंकवादियों पर रासुका नही लगाती है तो इस देश के मुसलमानों को समझ लेना चाहिए कि उनके लिए भारत की ज़मीनें तंग की जा चुकीं हैं। अब मुसलमानों को इन समस्याओं का हल निकालना होगार हल यह है कि हिन्दू मठाधीशों को उनके युवाओं का आतंकवादी चेहरा दिखाया जाए, अगर वे इन लोगों को आतंकवादी नहीं कहते हैं, तो फिर संयुक्त राष्ट्र को इस तरह के वीडियो भेजकर बताया जाए कि आतंकवाद की परिभाषा तय कीजिए.
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पूरा वीडियो नीचे के लिंक पर

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"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

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