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शिक्षा विभाग के कुछ मनमाना अधिकारियों की वजह से लॉक डाउन पर मंडराते खतरों बादल | शिक्षक नौकरी बचाये या लॉक डाउन का पालन करे ? इस सबंध में मीडिया की सुर्खी बनी पढ़िये एक रिपोर्ट ।।





 
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हड़ताल खत्म होने के बाद भी संकट में नियोजित शिक्षक, नौकरी बचाने के चक्कर में जा सकते हैं जेल




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पटना डेस्क: शिक्षा विभाग के साथ हुई बातचीत के बाद लंबे समय से जारी माध्यमिक शिक्षकों का हड़ताल खत्म हो गया है। लेकिन शिक्षकों के योगदान को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है। अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग की अनुमति से पटना जिला में लॉकडाउन का पालन करते हुए योगदान करने के लिए शिक्षकों को व्हाट्सएप्प के माध्यम से प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी या नियंत्री पदाधिकारी को योगदान पत्र भेजने का निर्देश दिया गया है। यदि वे विद्यालय या प्रखंड संसाधन केन्द्र में योगदान करने जाते हैं तो लॉकडाउन तोड़ने के आरोप में उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई करने का आदेश जारी किया गया है।
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मधुबनी DEO का आदेश, लॉकडाउन तोड़कर योगदान करो:

वहीं दूसरी तरफ जिला शिक्षा पदाधिकारी, मधुबनी का आदेश है कि सभी हड़ताली शिक्षकों को प्रखंड संसाधन केन्द्र आकर योगदान करना होगा। कोरोना महामारी को मद्देनजर रखते हुए लागू किए गए लॉकडाउन में शिक्षकों को उनके प्रखंड संसाधन केन्द्र जाकर योगदान करना मुश्किल लग रहा है। विदित है कि जिले के सभी प्रखंडों में औसतन 600 से 1000 के आसपास शिक्षक हैं और सभी शिक्षकों को बुधवार, 6 मई को ही योगदान करने को कहा गया है।
जिला पदाधिकारी, मधुबनी द्वारा कोरोना महामारी को लेकर जारी किए गए दिशानिर्देश में जिले के एक क्षेत्र से दुसरे क्षेत्र से जाना प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही यदि हर प्रखंड में एक ही दिन में 600 से 1000 के आसपास शिक्षक योगदान करने के लिए उपस्थित होते हैं तो सोशल डिस्टन्सिंग का पालन भी संभव नहीं है और अफरातफरी जैसी परिस्थिति बनने की संभावना बन सकती है।
जिले के शिक्षकों का कहना है कि राज्य में एक शिक्षा विभाग है फिर विभन्न जिलों में अलग-अलग आदेश क्यों ? जबकि मुख्य सचिव का आदेश है कि यदि शिक्षक लॉकडाउन के नियमों को ताक पर रखकर योगदान करने गए तो उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। शिक्षकों ने जिला शिक्षा पदाधिकारी पर यह भी आरोप लगाया कि वे जान बूझकर शिक्षकों को परेशान करने के लिए इस तरह का आदेश जारी किए हैं। जिला शिक्षा पदाधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं, मुख्य सचिव का आदेश नहीं मानना इसी का प्रमाण है।

पटना DEO का आदेश, योगदान करने निकले तो जाओगे जेल:

पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी के तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि वैसे प्रभारी प्रधानाध्यापक या शिक्षक जो हड़ताल से वापस होकर अपने कार्य पर योगदान करना चाहते हैं। वैसे शिक्षकों को लॉकडाउन अवधि में विद्यालय या प्रखंड संसाधन केन्द्र जाकर योगदान करने की आवश्यकता नहीं है। यदि वे योगदान करने के लिए लॉकडाउन तोड़कर विद्यालय जाते हैं तो उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।




संबंधित शिक्षक को आदेश दिया गया है कि वे अपने मोबाइल के व्हाट्सएप के माध्यम से नियंत्री पदाधिकारी को हड़ताल अवधि की तिथि से योगदान तिथि का उल्लेख करते हुए आवेदन लिखकर अपनी योगदान दर्ज करवाएंगे। लॉकडाउन समाप्त होने पर विद्यालय में योगदान करने के पश्चात आवेदन की तिथि से योगदान स्वीकृत किया जाएगा। जिला शिक्षा पधाधिकारी ने अपने आदेश में आगे बताया है कि इस आशय की सहमति अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग से प्राप्त कर ली गई है।
https://abpbihar.com से साभार




Comments

Anonymous said…
इन अधिकारियों क्या पता नहीं है कि प्रदेश समेत देश भर में #LockDown लागू है । और जो भी इसका उलंघन करता हुआ पाया जाएगा , कार्रवाई होगी ।

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