सर्दियों में सस्ता रहने वाला टमाटर सौ के पार क्यों पहुंचा?

 


  • दिलनवाज़ पाशा
  • बीबीसी संवाददाता
टमाटर

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भारत की अधिकांश जगहों पर सर्दियों के दिनों में टमाटर के भाव 15 से 20 रुपये प्रति किलो तक होते हैं. लेकिन इस साल भारत के कुछ शहरों में टमाटर के भाव आसमान छू रहे हैं.

कई जगहों पर खुदरा बाज़ार में इसकी क़ीमतें 80 रुपये प्रति किलो से ऊपर हैं. कुछ दक्षिण भारतीय शहरों में तो क़ीमतें 120 प्रति किलो तक पहुंच गई हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार केरल में जहां क़ीमतें 90 से 120 रुपये प्रति किलो के बीच हैं वहीं राजधानी में क़ीमतें 90 से 110 रुपये प्रति किलो के बीच पहुंच गई हैं. कहा जा रहा है कि बारिश के कारण टमाटर की सप्लाई बाधित हुई है जिसके कारण इसकी क़ीमतें बढ़ रही हैं.

एक तरफ जहां टमाटर के दाम बढ़ने से उपभोक्ताओं पर मार पड़ रही है वहीं किसानों ने कुछ राहत की सांस ली है.

दरअसल अक्तूबर में बेमौसम हुई बरसात ने टमाटर की फसल को ख़राब कर दिया था जिससे किसानों को भारी नुक़सान हुआ.

लेकिन अब जो टमाटर खेत में बचा है वो अच्छे दाम पर बिक रहा है जिससे किसानों के नुक़सान की भरपाई हो रही है.

टमाटर

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उत्तर प्रदेश के अमरोहा के टमाटर किसान आसिम पठान कहते हैं, "अभी किसान कुछ राहत महसूस कर रहे हैं. बारिश में अधिकतर फसल बर्बाद हो गई थी. अब जो बची है वो अच्छे दाम पर बिक रही है."

आमतौर पर किसानों का टमाटर अच्छा भाव हो तब भी 300 रुपए प्रति क्रेट बिकता है. एक क्रेट में 25 किलो टमाटर होते हैं. इस समय एक क्रेट टमाटर एक हज़ार रुपए से लेकर 1,400 रुपए तक बिक रहे हैं.

आसिम पठान कहते हैं, "पिछले कुछ दिनों से टमाटर के दाम में ज़बर्दस्त तेज़ी है. एक क्रेट टमाटर एक हज़ार रुपए से अधिक हो गया है. कुछ किसानों का 1,400 रुपए क्रेट तक बिका है."

आसिम के गांव हैबतपुर-सलारपुर में अधिकतर किसान टमाटर की खेती करते हैं. सर्दियों में भारत के अधिकतर हिस्सों में टमाटर की फसल होती है लेकिन गर्मियों में चुनिंदा जगहों पर ही टमाटर उगाया जाता है. आसिम गर्मियों में भी टमाटर की खेती करते हैं.

अपने टमाटर के खेत में आसिम पठान

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अपने टमाटर के खेत में आसिम पठान

आसिम पठान कहते हैं, "सर्दियों में कभी टमाटर के दाम इतने ऊंचे नहीं गए हैं. ये समय आते-आते तो दस रुपए प्रति किलो तक टमाटर बिकना मुश्किल हो जाता था क्योंकि पैदावार बंपर होती थी. इस बार बारिश ने फसल ख़राब कर दी है. मंडी में माल नहीं है इसलिए मांग बहुत ज़्यादा है."

आसिम बताते हैं, "गर्मियों में हमारे गांव और आसपास के टमाटर उगाने वाले इलाक़ों में देश भर से ख़रीददार आते हैं लेकिन इस बार सर्दियों में भी बाहर के व्यापारी आए हुए हैं. थोक कारोबारियों के अलावा रिलायंस फ्रैश जैसी बड़ी कंपनियां भी टमाटर ख़रीदने पहुंची हैं."

दसियों साल से टमाटर की खेती कर रहे आसिम कहते हैं, "टमाटर की खेती करना आसान नहीं है. लागत बहुत लगानी पड़ती है. एक बीघा खेत में बीस हज़ार रुपए तक की लागत आ जाती है. ऐसे में किसान को दाम ना मिले तो भारी नुक़सान होता है."

बारिश की वजह से उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले के स्वार क्षेत्र में बड़े पैमाने पर टमाटर के खेत बर्बाद हुए हैं. यहां उत्तराखंड में हुई बारिश की वजह से बाढ़ आ गई थी. इस क्षेत्र से दिल्ली एनसीआर में टमाटर की आपूर्ति होती थी. लेकिन इस बार यहां फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है.

स्वार से फ़ोन पर बात करते हए एक स्थानीय किसान रानिश ख़ान ने बताया, "इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर टमाटर होता है जो इस साल पूरी तरह बर्बाद हो गया है. किसानों को टमाटर के खेत जोतने पड़े हैं. इक्का-दुक्का खेत ही बचे हैं."

रानिश कहते हैं, "यहां बहुत से लोग जमीन ठेके पर लेकर टमाटर बोते हैं. इन लोगों का बहुत नुक़सान हुआ है. यहां फसल ख़त्म हो गई इसी वजह से टमाटर के दाम बढ़े हुए हैं."

टमाटर का ढेर

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दक्षिण भारत में आसमान पर दाम

तमिलनाडु के कई हिस्सों में टमाटर के दाम 100 रुपए प्रति किलो के पार चले गए हैं. चेन्नई में एक किलो टमाटर 140 रुपए प्रति किलो तक बिके हैं.

बुधवार को यहां मंडियों में टमाटर 100-110 रुपए प्रति किलो बिका है जबकि रिटेल में 125 से 140 रुपए किलो तक दाम रहे.

नवंबर के पहले सप्ताह में बारिश होने की वजह से यहां भी फसलें प्रभावित हुई हैं जिसकी वजह से दाम बढ़े हुए हैं. दाम बढ़ने की एक वजह परिवहन में देरी डीज़ल के महंगे दामों को भी माना जा रहा है.

भारी बारिश की वजह से तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बारिश ने फसलों को ख़राब कर दिया है. इसकी वजह से आपूर्ति प्रभावित हुई है.

टमाटर को नया पेट्रोल बता रहे लोग

भारत में पेट्रोल के दाम भी ऐतिहासिक स्तर पर हैं और सौ रुपए प्रति लीटर को पार कर चुके हैं. अब टमाटर के दाम बढ़ने पर लोग चुटकी ले रहे हैं.

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सार्थक गोस्वामी ने ट्विटर पर लिखा, "दोस्तों टमाटर नया पेट्रोल है, दाम सौ के पार हैं."

एक अन्य यूज़र ने लिखा कि टमाटर बाकी चीज़ों के मुक़ाबले में दामों की दौड़ में आगे निकल चुका है.

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भारत में घरेलू गैस और खाद्य तेल की क़ीमतें पहले से ही रिकॉर्ड स्तर पर हैं. अब टमाटर के बढ़े हुए दामों ने परिवारों का बजट बिगाड़ दिया है.

आमतौर पर सर्दियों में 20-30 रुपए प्रति किलो बिकने वाला टमाटर अब लोगों की पहुंच से बाहर होता नज़र आ रहा है.

टमाटर का खेत

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टमाटर देसी या विदेशी?

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भारतीय टेलीविजन शो "द करीज़ ऑफ़ इंडिया" की प्रोड्यूसर रुचि श्रीवास्तव के मुताबिक सभी भारतीय व्यंजनों ने टमाटर को अपना लिया है.

टमाटर का पौधा दक्षिण अमरीका से दक्षिणी यूरोप होता हुआ इंग्लैंड पहुंचा था. 16वीं शताब्दी से इसे अंग्रेज भारत लाए थे.

श्रीवास्तव का कहना है कि रेस्तरां और होटलों ने पिछले 100 साल में लाल कढ़ी सॉस को 'भारतीय' कहकर लोकप्रिय बनाया है.

"यह लोगों के जायके को बदल रहा है. जो लोग भारतीय व्यंजनों के बारे में बहुत नहीं जानते, उनके लिए प्याज और टमाटर से बनने वाली ग्रेवी क्लासिक है."

श्राद्ध संस्कार के बाद खाए जाने वाले भोजन भारतीय उपमहाद्वीप की स्वदेशी जैव विविधता को दिखाते हैं. इसमें कच्चे आम, कच्चे केले, ग्वारफली, सेम, शकरकंद, केले के तने, अरबी और हड़जोड़ को शामिल किया जाता है.

इन खाद्य सामग्रियों को काली मिर्च, जीरा और नमक के साथ पकाया जाता है. मूंग दाल से प्रोटीन की कमी पूरी होती है.

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