दलित दादी-पोते की थाने के अंदर पिटाई वाले वायरल वीडियो का क्या है सच?
मध्य प्रदेश में दलित दादी-पोते की थाने के अंदर पिटाई वाले वायरल वीडियो का क्या है सच?
- विष्णुकांत तिवारी
- बीबीसी संवाददाता, भोपाल से
मध्य प्रदेश में इन दिनों एक वीडियो वायरल है. इस वीडियो में थाने के अंदर 55 साल की एक दलित महिला और उनके नाबालिग़ पोते को दरवाज़ा बंद करके पीटा जा रहा है.
इस वीडियो के सामने आने के बाद एक बार फिर से प्रदेश की क़ानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
हालांकि वीडियो के वायरल होने के बाद ये पता चला कि वीडियो पिछले साल अक्तूबर का है और घटना जीआरपी थाना कटनी में हुई थी.
साथ ही ये भी पता चला है कि वीडियो में पिटाई करती दिख रही महिला जीआरपी थाने की तत्कालीन प्रभारी अरुणा वहाने हैं.
मध्य प्रदेश पुलिस ने इस वीडियो को लेकर चर्चा शुरू होने के बाद इस मामले की जाँच डीआईजी रैंक के अधिकारी से कराने की बात कही है. वहीं जबलपुर के रेलवे एसपी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर बताया है कि वीडियो में दिख रहे लोग एक अपराधी के परिजन हैं.
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बीबीसी ने इस वीडियो की पुष्टि के लिए वीडियो में दिख रहे पीड़ित लोगों से संपर्क किया, जिनका कहना है कि घटना 29 अक्तूबर 2023 की है, जिस रात पुलिस उन्हें रात भर मारती रही थी.
परिवार वालों का दावा है कि महिला अधिकारी कुर्सी पर बैठी रही और पाँच पुलिसकर्मी नाबालिग़ को बेरहमी से लाठियों मार रहे थे.
आख़िर वायरल वीडियो में क्या-क्या है?
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लगभग 2 मिनट 59 सेकेंड के इस वायरल वीडियो में सबसे पहले महिला अधिकारी ने दरवाज़ा बंद किया और 55 वर्षीय पीड़ित महिला को उसके बालों से घसीटते हुए लाठी और लात से मारा.
इस बीच एक अन्य पुलिसकर्मी कमरे में आता है. इसके बाद वीडियो में महिला अधिकारी अरुणा वहाने अपनी कुर्सी पर बैठी हुई दिखाई देती हैं और पाँच पुलिसकर्मी नाबालिग़ लड़के को बेरहमी से मारते हुए दिखते हैं.
इस दौरान एक पुलिसकर्मी नाबालिग़ लड़के के पैर पकड़ता है और दूसरा पुलिसकर्मी उसे लाठियों से पीटता दिखता है. वीडियो में दिख रहा नाबालिग़ पाँचवी कक्षा तक पढ़ा है और परिवार के भरण-पोषण में हाथ बंटाने के लिए कपड़ा पैकिंग का काम करता है. पुलिस का दावा है कि नाबालिग़ लड़के के पिता पर मामला दर्ज है.
नाबालिग़ की दादी बाँस की टोकरियाँ बेचती हैं और उनका बेटा (नाबालिग़ के पिता) ऑटो चालक हैं.
नाबालिग़ से बात करने पर उसने बताया, "मेरे पिता ने दो शादियाँ की थी और हम छह भाई बहन हैं. पहली पत्नी यानी मेरी माँ से 4 और छोटी माँ से 2 बच्चे."
"मैं कपड़ा पैकिंग का काम करता हूँ. उस दिन पुलिसवालों ने घर पर आकर मेरे पिता के बारे में जानकारी ली. हमें जो पता था हमने बता दिया लेकिन फिर वो हमें थाने ले गए और वहाँ ले जाकर बहुत मारा."
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रात भर मारा, बेटे का पता पूछा- पीड़ित महिला
फ़ोन पर बीबीसी से बात करते हुए नाबालिग़ की दादी ने बताया, "जब 29 अक्तूबर को पुलिस वाले आए उस वक्त हम लोग अपने घर पर ही थे. वो मुझसे मेरे बेटे का पता पूछने लगे. मेरा बेटा रिश्तेदारों के यहाँ जबलपुर गया था."
"यह बताने पर पुलिसवालों ने कहा कि थाने चलो, मैडम बात करेंगी, उसके बाद छोड़ देंगे. मुझे और मेरे 15 साल के पोते को पुलिस गाड़ी में अपराधियों की तरह बैठाकर ले गई."
महिला ने यह भी बताया, "थाने पहुँचने पर हम थाना प्रभारी के कमरे में गए, जहाँ उन्होंने हमें अंदर आने के लिए कहा और ख़ुद उठ कर दरवाज़ा बंद कर दिया."
"बेटे का पता बताओ कहकर उन्होंने हमें मारना चालू कर दिया. मुझे ज़मीन पर गिराकर मारा गया. मेरे पोते को 4-5 पुलिसवालों ने पकड़कर मारा, वो लोग पूरी रात मारते रहे थे."
एसपी ने क्या कहा?
इस मामले में जबलपुर रेलवे एसपी सिमाला प्रसाद ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि उन्हें सोशल मीडिया के ज़रिए सामने आए इसल मामले की जानकारी है.
उन्होंने कहा, "ये पिछले साल का मामला है. वीडियो से जो तथ्य सामने आए हैं वो पुलिस के लिए भी नए हैं. उसी घटना की जांच के लिए हम लोग कटनी आए हुए हैं."
एसपी रेलवे जबलपुर के एक्स हैंडल पर भी घटना के बारे में जानकारी दी गई है. इस पोस्ट में बताया गया है कि नाबालिग़ के पिता के ख़िलाफ़ 19 अपराध दर्ज हैं और उसकी जाँच की जा रही है.
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सिमाला प्रसाद ने बताया, "कटनी जीआरपी थाने में एक हिस्ट्रीशीटर का नाम दर्ज है जिन पर 19 मामले दर्ज हैं. अप्रैल 2024 में उसे जीआरपी कटनी ने जिले से तड़ीपार भी घोषित किया था. वो काफी समय से फरार चल रहा था."
"चोरी के कई मामलों में उसका नाम होने के कारण वो वांटेड था. उस पर 10 हज़ार रुपयों का इनाम भी था. उसके घर पर कई बार दबिश भी दी गई थी और न मिलने पर उसके परिजनों को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था."
एक सवाल के जवाब में जबलपुर रेल अधीक्षक ने बताया कि पीड़ित महिला पर कोई केस दर्ज नहीं है, लेकिन नाबालिग़ मारपीट का एक मामला कटनी थाने में दर्ज है.
उन्होंने कहा, "जितने भी लोग वीडियो में दिखे हैं उनको निलंबित किया गया है. उनके बयान लिए जा रहे हैं कि किस संदर्भ में उनको थाने पर बुलाया गया था. इसमें पांच लोगों को जिनमें महिला कांस्टेबल और एक थाना प्रभारी को निलंबित किया गया है."
पीड़ित महिला की शिकायत से गरमाई सियासत
पीड़ित महिला ने राष्टपति, केंद्रीय गृहमंत्री, मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष, एमपी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को शिकायत पत्र लिखा है.
उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि उन्होंने थाना प्रभारी जीआरपी कटनी के ख़िलाफ़ शिकायत भी की थी, लेकिन शिकायत करने के बाद भी जीआरपी थाना प्रभारी और पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
साथ ही पीड़िता ने दावा किया है कि उन पर जीआरपी कटनी के अधिकारियों की ओर से शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.
फ़िलहाल थाना प्रभारी अरुणा वहाने को उनके पद से हटाकर लाइन अटैच कर दिया गया है लेकिन इस मामले पर प्रदेश में सियासत गरमाई हुई है.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी गुरुवार को परिवार से मिलने जा रहे हैं. वहीं बीजेपी का कहना कि जाँच के आदेश दिए जा चुके हैं.
जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट किया कि कटनी की वीभत्स घटना से पूरा मध्य प्रदेश स्तब्ध है.
बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए पटवारी ने लिखा, "एक दलित माँ-बेटे को भाजपा के वर्दी वाले गुंडों ने बंद कमरे में लाठी से पीट-पीट कर कर अधमरा कर दिया है. बीजेपी के कुशासन में मध्य प्रदेश के दलित भयावह जीवन जीने को मजबूर हैं. अगर मुख्यमंत्री अपने प्रदेश के लोगों की सुरक्षा नहीं कर सकते, तो उन्हें तुरंत इस्तीफ़ा दे देना चाहिए."
प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मामले में एक ट्वीट कर जानकारी दी है. उन्होंने लिखा है, "वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया है कि यह सुनिश्चित हो कि भविष्य में इस तरह का व्यवहार की पुनरावृत्ति नहीं हो."
वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि ये मामला दुर्भाग्यजनक है.
उन्होंने कहा, "ये मामला हमारे संज्ञान में आया है. अपराधी, अपराधी है, लेकिन उसके परिवार के साथ इस तरह का व्यवहार करना... जिन्होंने ये किया है उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई होगी. ऐसे लोग बचेंगे नहीं. इस मामले में एआईजी स्तर के अधिकारी को जांच के आदेश दिए गए हैं."
लेकिन प्रदेश में दलितों के ख़िलाफ़ अपराध के मामले नए नहीं हैं.
मध्य प्रदेश के सागर ज़िले के बडोदिया नौनागिर गाँव के एक दलित परिवार के घर में पिछले एक साल में तीन सदस्यों की मौत के बाद विपक्षी नेताओं के साथ ही मुख्यमंत्री भी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे. वो परिवार आज भी इंसाफ़ की राह ताक रहा है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के सबसे हालिया आँकड़ों के अनुसार प्रत्येक एक लाख दलित आबादी पर मध्य प्रदेश में 60 से अधिक अपराध दर्ज किए गए हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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